कभी कभी मुझे, कुछ बात करने का मन होता है

कभी कभी मुझे, कुछ बात करने का मन होता है ,
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।

यूँ तो दुनिया में बहुत-सी अजीब-सी बातें हैं,
और बातों में सिमटी अजीब-सी दुनिया है ।
कहते हैं दुनिया में कुछ नायाब अजूबे हैं,
मैं कहता हूँ, एक नायाब अजूबा हमारी ये दुनिया है ।
दुनिया में जो भी कुछ अजीब-सी बातें हैं,
उन बातों से दुनिया को समेटने का मन होता है ।
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।।

कभी कभी मुझे, कुछ बात करने का मन होता है ,
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।

यूँ तो जहाँ में कई किस्से अधूरे हैं,
उन अधूरे किस्सों की अधूरी सी दुनिया है । 
कहते हैं कोई किस्सा नहीं रहता अधूरा है,
जो अधूरा रह जाए, वही तो यादगार किस्सा है । 
दुनिया में जितने भी अधूरे-से किस्से हैं,
सभी को क्यों उन अधूरे किस्सों को पिरोने का मन होता है ।
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।।

कभी कभी मुझे, कुछ बात करने का मन होता है ,
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।

यूँ तो कहने को जहन में बहुत-सी ही बातें हैं,
मगर बातों को लिखने की इस पन्ने में जगह भी तो बहुत कम है । 
कहते हैं कुछ बातें कभी बातों में नहीं आती,
उन बातों को ऐसे ही बताने वाले कहाँ हम हैं । 
जाने क्यों उन बातों को दुनिया से छुपाने का भी मन होता है । 
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।।

कभी कभी मुझे, कुछ बात करने का मन होता है ,
वक़्त बेवक़्त बस यूँही, अल्फाज़ पिरोने का मन करता है ।

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