कभी कभी देर रात एक आहट-सी सुनाई देती है ...
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है ...

कभी कभी देर रात एक आहट-सी सुनाई देती है
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है

जब भी कभी मैं जागता रह जाता हूँ और ये जहां सो जाता है
जाने क्यूँ उस वक़्त ये खामोश जहां भी चुपके से बात करने आता है
आस पास जब कोई नहीं और हवा में सन्नाटा छाता है
तभी जाने कहाँ से सन्नाटे को चीरता हवा का झोंका भी बात करने आता है
हवा भी अपने झोंके से कुछ बात धीरे से कहती है
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है

कभी कभी देर रात एक आहट-सी सुनाई देती है
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है

रात के अँधेरे में दीवारें के नयन भी घूर कर देखा करते हैं
और हमने तो बस सुना था ये क़ि दीवारों के भी कान होते हैं
दीवारों पर लगी घडी के कांटे भी जोर जोर से टिक टिक करते हैं
इसलिए ही शायद लोग कहते हैं की वक़्त के कहां कोई पाँव होते हैं
यूँ गुजरते वक़्त की रफ़्तार भी शायद कुछ कहती है
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है

कभी कभी देर रात एक आहट-सी सुनाई देती है
दूर कही ख़ामोशी में कोई हरकत-सी सुनाई देती है



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